दिवाली क्यूं मनाते है - दिवाली का इतिहास क्या है? - हैलो दोस्तो स्वागत है आप सभी का हमरे ब्लॉग पर तो आज के इस पोस्ट मे हम आपको बताने वाले है की Diwali क्यों मनाई जाती है वैसे आपको इस बात का तो पता ही गोगा की Diwali भारत का एक बहुत बड़ा Festival है जो की हमारे भारत मे हर साल काफी धूमधाम से मनाते है वैसे बहुत से लोग ऐसे है जिन्हें Diwali के इतिहास के बारे मे पता ही नहीं है तो आजका हमारा ये आर्टिकल आप पूरा जरूर पढ़ें।
वैसे मे आपको बता दूँ की दिवाली सिर्फ भारत मे ही नहीं बल्कि बहुत सारे देशों मे मनाई जाती है जैसे की तोबागो, सिंगापुर, सुरीनम, नेपाल, मारीशस, गुयाना, त्रिनद और श्री लंका, म्यांमार, मलेशिया और यही नहीं बल्कि फिजी में तो इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है।
दिवाली पर लोग अपने घरों को सजाकर सजाते है और इसके साथ दिये, मोमबत्तियॉ, आरती पढकर, उपहार बॉटकर, मिठाईयॉ बांटकर एक दूसरे के गले लगकर और पटाखे चला कर इसके साथ कई औऱ भी गतिविधियों के साथ दिवाली का उत्सव मनाते है।
भारत मे दिवाली के दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया जाता है और वो इस लिए ताकि सभी लोग अपने परिवार के साथ त्यौहार को माना सके लोग दिवाली के दिन का इंतजार करते है दीपावली पर सभी अपने घरो की साफ सफाई करते है ये त्यौहार जीवन में शान्ति और समृद्धि प्राप्त करता है।
दीपावली कब मनाई जाती है?
दीपावली क्यू मनाई जाती है ये बात जानने से पहले ये जन लेते है की दिवाली कब मनाई जाती है दीपावली हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन के महीने में कृष्ण पक्ष की 13 वें चंद्र दिन पर मनाते है हमारे भारत मे दीपावली हर साल मध्य अक्टूबर या फिर मध्य नवम्बर में दशहरा के ठीक 18 दिन के बाद मनाया जाता है और दिवाली हिन्दूओं का बहुत बड़ा त्यौहार है।
वैसे हम आपको बता दे की दिवाली का त्यौहार अपने साथ मे हर साल बहुत सारी खुशियों को ले करके आता है और पॉच दिनों से अधिक समय धनतेरस से भाई दूज पर पूरा होता है तो चलिये अब जानते है की भारत मे दिवाली क्यू मनाई जाती है।
दीपावली क्यों मनायी जाती है?
यह त्यौहार भारत मे हर साल हिन्दूओं के साथ साथ अन्य धर्म के लोगो के भी द्वारा मनाया जाता है हिन्दू मान्यता के अनुसार लोगों का यह मान्यता है कि वो जो भी इस त्यौहार पर करेगें वहीं पूरे साल करेगें और इसलिये दीपावली पर सभी लोग अच्छे काम करते है।
सभी लोग धनतेरस पे खरीदारी करते है अपने पूरे घर दुकान और हर चीज लो लाइटो से सजा देते है इसके साथ साथ मिठाई नही बांटते है पूजा करते है आपको बता दे की हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार दिवाली मनाने के बहुत सारे पौराणिक और ऐतिहासिक कारण है जैसे की हम आपको नीचे बताने जा रहे है।
1 - देवी लक्ष्मी जी का जन्मदिन - वैसे आपको वी टो पता ही होगा की लक्ष्मी धन और समृद्धि की स्वामिनी है ऐसा माना माना जाता है कि राक्षस और देवताओं द्वारा समुन्द्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी दूध के समुन्द्र से कार्तिक महीने की अमावश्या को ब्रह्माण्ड में आयी थी।
2 - भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मार डाला - आप यह बात भी जानते होगे की खास दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाया जाता है ऐसा क्यू है चलिये ये भी जान लेते है ऐसा माना जाता है की आज से बहुत समय पहले नरकासुर नाम का राक्षस जो की प्रदोषपुरम में राज करता था।
यह राक्षस लोगों पर बहुत अधिक अत्याचार करता था यहाई नहीं बल्कि उसने 16000 औरतों को बंधी बना रखा था भगवान कृष्ण ने उस राक्षस की हत्या करके उन सभी महिलाओं को बचा लिया था बस उसी दिन से बुराई सत्ता पर सत्य की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
3 - राम की विजय - वैसे ये बात तो हम सब जानते है की हिन्दू महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान राम दस सर वाले रावण को मारकर अपनी पत्नी सीता माता और अपने भाई लक्ष्मण जी के साथ अपने राज्य अयोध्या लगभग 14 वर्ष के बाद वापस आये थे।
ऐसे मे अयोध्या के लोग अपने भगवान राम उनकी पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण के आने पर बहुत अधिक खुश थे इसलिये उन्होनें अपने पूरे राज्य को सजाया दिये जलाए और इसके साथ साथ पटाखे जलाकर उनके लौटने की खुशी मनाई।
4 - जैन धर्म के लिए ये खास दिन है - वैसे आपको ये बात शायद पता नहीं होगी की तीर्थंकर महावीर जिन्होंने जैन धर्म की स्थापना की थी उन्हें इस दिन निर्वाण की प्राप्ति हुई थी इस लिए जैन धर्म के लोग इस दिन को दिवाली के रूप मे मनाते है।
5 - आर्य समाज के लिए है ये खास दिन - जैसा की हम सब जानते है की महर्षि दयानंद हिन्दू के साथ साथ आर्य समाज के भी संस्थापक थे और आज के दिन ही निर्वाण प्राप्त किया उस दिन से दीवाली के रूप में मनाया जा रहा है इस दिन को।
6 - सिखों के लिए है खास दिन - अमर दास जो की सीखो के तीसरे गुरु है उन्होने दिवाली को लाल-पत्र दिन के पारंम्परिक रुप में बदल दिया तब से ही सभी सिख अपने गुरुजनों का आशार्वाद लेने के लिए एक साथ मिलते है।
और यही नहीं बल्कि अमृतसर मे स्वर्ण मंदिर की स्थापना भी वर्ष 1577 में दीपावली के दिन हुई थी और यही नही बल्कि दिवाली के दिन ही हरगोबिंद जी जो की सीखो के 6 सिख गुरु थे उनको वर्ष 1619 में मुगलों सम्राट जहांगीर से रिहा करा लिया गया था।
दिवाली का इतिहास क्या है?
यह बात तो हम सब जानते है की दिवाली भारत में प्राचीन काल से ही मनाया जाता आ रहा है हम आपको बता दे की इस दिन ही देवी लक्ष्मी की शादी विष्णु जी के साथ मे हुई थी वैसे बंगाली समाज के लोग इस त्यौहार को माता काली की पूजा करके मनाते है।
और बही हिन्दू इस शुभ त्यौहार को देवता गणेश जिनको हाथी के सिर वाले भगवान के नाम से भी जाना जाता है और माता लक्ष्मी जिनको धन और समृद्धि की माता के नाम से जाना जाता है इन सभी की पूजा करके मनाते है।
आप ये बात शायद नहीं जानते होगे की दिवाली सम्मारोह पॉच दिन का त्यौहार होता है और दिवाली के पॉचों दिनों की अपनी कहानियॉ और किंवदंतियॉं है तो चलिये अब हम आपको इन पंचो दिनो के नाम बताते है।
- 1 - दीपावली के पहले दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता है।
- 2 - दीपावली के दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी के नाम के जाना जाता है।
- 3 - दीपावली के तीसरे दिन को अमावश्या के नाम के जाना जाता है।
- 4 - दीपावली के चौथे दिन को बली प्रदा के नाम से जाना जाता है।
- 5 - दीपावली के पंचवे दिन को यम द्वितीया या फिर भाई दूज के नाम से जाना जाता है।
तो दोस्तो उम्मीद करता हूँ की आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी दिवाली क्यूं मनाते है - दिवाली का इतिहास क्या है ? अच्छी लगी होगी और अब आप दिवाली के बारे मे काफी कुछ ऐसी बातें जान गए होगे जो आपको पहले से पता नहीं होंगी तो आपको हमारा पोस्ट कैसा लगा कमेंट करके हमे जरूर बताना शुक्रिया।
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