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EVM - इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है? क्या सच में EVM मशीन हैक हो सकती है

हैलो दोस्तो स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर तो आजके इस आर्टिकल मे हम आपको जिसके बारे मे जानकारी देने वाले है उसी के जरिए हमारी देश की सरकार का चयन किया जाता है अभी हाल ही पंजाब, उत्तर प्रदेश, गोवा और उत्तराखंड के चुनाव ख़त्म हुए है जिसमे इस मशीन का इस्तेमाल किया गया था तो आज हम बात करने वाले है EVM मशीन के बारे में कि ईवीएम क्या है और इससे जुड़ी कुछ और भी जानकारी आपको देंगे।


वैसे देखा जाए तो आज के समय मे हर रोज नई नई टेक्नोलॉजी मार्केट मे आरही है ठीक उसी तरह 17 सालों (2004) से भारत में EVM से चुनाव हो रहे हैं जैसा कि ये बात तो हम सभी जानते ही हैं किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए निष्पक्ष तथा स्वतंत्र चुनाव होने बेहद आवश्यक हैं।


क्योंकि लोकतंत्र में देश की जनता के द्वारा चुनी गई सरकार ही श्रेष्ठ होती है शायद ये बात आपको पता नहीं होगी की भारत मे साल 1982 में केरल विधानसभा चुनाव में पहली बार evm मशीन को लॉन्च कर धांधली-बाजी रोकने के लिए सबसे बड़ा फैसला लिया गया था लेकिन इसके बाद 2004 से भारत मे लगातार evm के जरिये ही चुनाव होते है।


EVM Machine का इस्तेमाल चुनावों में वोटिंग के लिए होता है evm एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जिसकी मदद से हमारे द्वारा दिया गए वोटों को सही से एकत्रित करके रखा जाता है और इन बोटों की गिनती करने में भी आसानी होती है लेकिन इस मशीन को लेकर हमारे देश मे कई बार विवाद हुआ है इस लिए हम आपको इससे जुड़ी कई सारी ऐसी जानकारी देंगे जो आप पहले से नहीं जानते होगे।


evm मशीन क्या है

EVM मशीन क्या है?

कुछ साल पहले भारत मे चुनावी प्रक्रिया काफी कठिन हुआ करती थी और उसमे खर्चा भी अधिक आता था यही नहीं बल्कि चुनावी नतीजे आने में भी काफी समय लगता था और इसके साथ साथ चुनाव करने के लिए कई टन कागज की आवश्यकता भी पढ़ती थी औएर उस कागज को बनाने के लिए बहुत अधिक मात्रा मे पेड़ो का कटाव होता था जो की पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं होता था।


हाँ लेकिन समय के साथ साथ  evm मशीन ने इस समस्या को सुलझा दिया evm मशीन में दो यूनिट होती हैं इस मशीन की खोज सार्वजनिक क्षेत्र में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया और इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने भारतीय निर्वाचन आयोग की मदद से की थी तो चलिये दोस्तो अब हम आपको evm मशीन की कुछ विशेषताओं के बारे मे बताते है।


Evm मशीन की विशेषताएं?

ईवीएम मशीन दो डिवाइसों से मिलकर बनी होती है इस मशीन मे पहले डिवाइस का नाम कंट्रोल यूनिट होता है और दूसरे डिवाइस का नाम बैलेटिंग यूनिट होता है और ये दोनों डिवाइस एक दूसरे से 5 मीटर लंबी केबल के साथ जुड़ी होती है और इसमे कंट्रोल यूनिट बैलेटिंग यूनिट को कंट्रोल करता है और बैलेटिंग यूनिट की मदद से ही मतदाता मतदान करता है।


  • इस मशीन को किसी भी स्थान जहाँ बिजली न हो वहाँ भी आसानी से लगाया जा सकता है क्यूकी evm बैटरी से चलती हैं इस लिए इसे कहीं भी लगाया जा सकता है।
  • इस मशीन के द्वारा समय तथा मत-पत्र के प्रिंटिंग और खर्च को भी काफी हद तक बचाया जाता है।
  • शायद आपको ये पता नहो होगा की evm मशीन एक समय मे 3840 वोटो को आसानी से दर्ज कर सकती है।
  • पहले पेपर से चुनाव होते थे तो नतीजे आने मे काफी समय लगता था लेकिन इस मशीन से जल्दी नतीजे आ जाते है और पेपर बनाने के लिए पेढ भी नहीं काटने पढ़ते है।
  • इस मशीन के बैटरी में मौजूद c.u यानि की कंट्रोल यूनिट का डेटा लगभग दस सालों तक सेव रहता है जिस कारण इसे दोबारा चेक किया जाता है जिसमें सभी पिछले परिणाम आसानी से देखे जा सकते है।
  • पहले के चुनाव के अधिक खर्चा और समय लगता था लेकिन मशीन द्वारा चुनाव करने पर समय की भी बचत होती है साथ ही खर्च भी कम होता है।


ईवीएम मशीन का इतिहास?

तो चलिये अब evm मशीन के इतिहास के बारे मे बताते है तो EVM Machine सबसे पहले मई 1982 में केरल के परूर विधानसभा क्षेत्र के 50 मतदान केंद्रों पर इस मशीन का पहली बार इस्तेमाल हुआ था लेकिन उसके बाद ईवीएम मशीन में गड़बड़ी धोखाधड़ी और कई सारे राजनीतिक दलों के दबाव के चलते इस मशीन का इस्तेमाल होना बंद कर दिया गया था।


फिर इस मशीन की जांच की गई और कुछ संशोधन के बाद 1998 में evm का इस्तेमाल आम चुनावों में भी शुरू कर दिया गया और इसके बाद से यानि की 2004 से भारत के सभी चुनावों में इसका इस्तेमाल होने लगा और आज के समय मे भी भारत के चुनावो मे इसी मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।


क्या सच में Evm मशीन हैक हो सकती है?

भारत के लगभग सभी चुनावो मे इस्तेमाल होने वाली मशीन ईवीएम को डिजाइन करने वाले अमेरिका के एक साइबर एक्सपर्ट ने यह दावा किया है कि इन मशीनों को हैक किया जा सकता है हम आपको बता दे की 21 जनवरी 2019 को लंदन में एक प्रेजेंटेशन दिया गया था जिसमें इन ईवीएम मशीनों को हैक करके दिखाया गया था जिसका इस्तेमाल पिछले चुनाव में भी किया गया था तो इससे ये साफ हो जाता है की evm को हैक किया जा सकता है।


और हाँ हम आपको बता दे की इस दावे की सच्चाई को जानने के लिए क्विंट वहां मौजूद था और भारतीय समय के अनुसार लगभग शाम 5:30 बजे इस प्रेजेंटेशन की LIVE स्ट्रीमिंग भी की गई थी ये देखने के लिए कि क्या सच मे हमारे लोकतंत्र को हैक किया जा सकता है या नहीं क्या हमारे चुनाव वाकई में स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं लेकिन इसमे इन मशीनों को हैक कर लिया गया था।


Evm में नोटा क्या होता है?

आपने नोटा के बारे मे जरूर सुना होगा अगर नहीं सुना तो चलिये हम आपको बताते है की नोटा आखिर होता क्या है तो evm में वोटिगं युनिट में एक बटन होता है जिसे नोटा कहा जाता है और यह बटन ठीक उम्मीदवार की तरह ही वोटिगं के लिए उपयोग किया जाता है।


नोटा बटन का मतलब यह होता है की इनमें से कोई भी नहीं जब कभी भी कोई मतदाता यह समझता है कि इसमे से कोई भी उम्मीदवार योग्य नहीं तब ऐसे मे वो उम्मीद बार नोटा बटन को दबाता है अब आप सोच रहे होगे की इससे क्या होता होगा तो मे आपको बता दूँ की इससे होता ये है की जिस उम्मीदवार को वह बिल्कुल पसंद नहीं वह जीत जाय ऐसी संभावना अधिक रहती है तो ऐसे मे वो किसी को भी वोट नहीं करता है।


आपको बता दे की छत्तीसगढ़, राजस्थान, म.प्र. के चुनाव में बहुत से ऐसे उम्मीदवार नोटा के मत से कम अंतर के साथ हारे जिसके चलते बीजेपी चुनाव हार गई और नोटा बटन दबाने वालों के नापसंद दल की सकता बन गई जबकि बहा की जनता ने पूर्व की सत्ता रूढ़ व वर्तमान सरकार के विरुद्ध मतदान किया था।


यदि पहले नंबर पर नोटा आ जाय तब भी चुनाव रद्द नहीं होगा ऐसे किया ये जाता है की दूसरे नंबर के उम्मीदवार को विजयी घोषित किया जाता है तो मुझे उम्मीद है की अब आप ये समझ गए होगे की नोटा किया होता है।


ईवीएम की शुरुआत कब हुई?

Evm यानि की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ("ईवीएम") साल 1982 में केरल विधानसभा चुनाव में पहली बार evm मशीन का इस्तेमाल किया गया था इसके बाद 2004 से जगतर इस मशीन का इस्तेमाल चुनाव मे किया जाता है।


वीवीपीएटी मशीन क्या है?

अगर आपको नहीं पता की वीवीपीएटी मशीन क्या है तो चलिए हम आपको बताते है तो वीवीपीएटी प्रणाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को ईवीएम स्लिप पैदा करके प्रत्येक वोट कास्ट दर्ज करने में सक्षम बनाती है इसका इस्तेमाल 2019 में सभी 543 लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रों में हुआ था।


EVM मशीन की कीमत कितनी है?

भारत के लगभग सभी चुनावो मे इस्तेमाल होने वाली Evm मशीन की कीमत कितनी होती है चलिये जानते है तो चुनाव आयोग के मुताबिक साल 1989-90 में जब ईवीएम खरीदी गई थीं उस समय एक ईवीएम मशीन की लागत 5500/- थी ईवीएम में शुरुआती निवेश भले ही ज्यादा हो लेकिन ईवीएमसे मत पत्र से होने वाले वोटिंग की तुलना में काफी ज्यादा कम खर्च होता है।


भारत में चुनाव कौन करवाता है?

ये सवाल कई लोगो के मन में आता है की भारत में चुनाव कौन करवाता है तो आपको बता दें की भारत में चुनावों का आयोजन भारतीय संविधान के तहत बनाये गये भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है ये एक अच्छी तरह स्थापित परंपरा है कि एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोई भी अदालत चुनाव आयोग द्वारा परिणाम घोषित किये जाने तक किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।


EVM का फुल फॉर्म क्या हैं?

Evm Ka Full Form इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है।


आज किया सीखा-

तो आजके इस पोस्ट मे आपने जाना की Evm क्या है और Evm मशीन काम कैसे करती है इसके साथ कुछ और भी कई सारी महत्वपूर्ण जानकारी आपको जानने के लिए मिली जो शायद आप पहले से नहीं जानते होगे।


तो दोस्तो मे उम्मीद करता हूँ की आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी और कुछ नया जानने को मिला होगा आगर आपको हमारा पोस्ट अच्छा लगा तो आप इसे आपने दोस्तो मे शेयर जरूर करना शुक्रिया।


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